रविवार, 7 मार्च 2010

गंदगी का शिकार हुआ बैजाताल

अपने तैरते मंच के लिए मशहूर मोतीमहल स्थित बैजाताल पर फिर से बदहाली के बादल छाने लगे हैं। यह स्थल गंदगी का शिकार है। कुछ ही दिन पूर्व हुए ग्वालियर हेरिटेज महोत्वस के दौरान बैजाताल में पानी भरा गया था। अब इसमें पानी में कीचड़ जमा हो गई है, पतछड़ के कारण आसपास के पेड़ों से गिरे हुए पत्तों का ढ़ेर जमा हो रहा है। वहीं तफरी के लिए आने वाले प्रेमी युगल खाने पीने के पैकेट और दूसरी चीजें यहां फेंकजाते हैं जिससे गंदगी और बढ़ती जा रही है। तालाब में भरी कीचड़ में कीड़े पडऩे लगे है जो गौरेय्याओं को भोजन उपलब्ध करा रहे है।
कुछ ही दिन पहले ग्वालियर हेरिटेज महोत्सव के दौरान बैजाताल की दुल्हन की तरह सजाया गया था। पिछले साल हुए हेरिटेज महोत्सव के दौरान बैजाताल के जीर्णोद्वार पर लाखों रुपए खर्च कर मूल स्वरूप में लाया गया था। इस साल भी तालाब की रंगाई पुताई पर भारी खर्च िकया गया। महोत्सव खत्म होते ही बैजाताल के दुर्दिन फिर शुरू हो गए है। शहरभर की सफाई का जिम्मा संभालने वाला निगम दफ्तर भी बैजाताल से कुछ ही कदमों की दूरी पर है। बावजूद इसके बैजाताल की सफाई व्यवस्था पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है।
शहर में आने वाले पर्यटक भी बैजाताल पहुंचते है। ऐतिहासिक स्थलों की दुव्र्यवस्था से सैलानियों के मन में शहर छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पिछले दिनों दैनिक भास्कर ने एक खबर प्रकशित कर सांसद यशोधरा राजे की फेसबुक एकाउंट पर शहर को बेहतर बनाने के सुझाव दिए थे। कई सारे सुझाव ग्वालियर के ऐतिहासिक वैभव और ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने को लेकर सामने आये थे। शायद सांसद महोदय को शहरवासियों के सुझावों से चुनाव के समय ही सरोकार था।

1 टिप्पणी:

www.जीवन के अनुभव ने कहा…

sahi kaha netao ka kisi bhi sujhav se sarokar keval chunao tak hi hota he. aage bhagvaan bharose. vais safai k liye hamare sathiyo ko bhi jagruk hone jaurat he.