शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

अतुल अजऩबी की नई किताब 'बरवक्त

मशहूर किताब शजऱ मिमाज़ के लेखक अतुल अजऩबी की नई किताब 'बरवक्त का विमोचन ग्वालियर में हुए एक मुशायरे 'दरीचा-2009 में हो गया। देश के ख्याति प्राप्त शायर निदा फ़ाज़ली, डा राहत इंदौरी, डा अंजुम बाराबंकवी, जिगर के शहर मुरादाबाद के मंसूर उस्मानी और शकील ग्वालियरी ने इस किताब का विमोचन किया।
बरवक्त के विमोचन पर अतुल अजनबी से हरेकृष्ण की बातचीत के कुछ अंश----
हरेकृष्ण - बरवक्त आपकी दूसरी किताब है क्या यह पहली किताब का ही दूसरा भाग है?
अतुल- नहीं। बरवक्त उर्दू का संकलन है। यह फारसी में लिखी गई है। इसमें कुल 100 गजलें और कुछ फुटकर शेर है।
हरेकृष्ण - बरवक्त की थीम क्या है?
अतुल - गजल की कोई थीम नहीं होती। एक ही गजल में कभी जमीन की बात होती है, तो कभी आसमान की। कभी जिंदगी की, तो कभी ज़माने की बात होती है।
हरेकृष्ण - अपनी किस गजल को सबसे अच्छा मानते हैं?
अतुल - मेरी कौन सी गजल अच्छी है यह बताना उतना ही मुश्किल है जैसे किसी बाप से पूछना कि उसकी कौन सी औलाद उसे ज्यादा प्यारी है। मुझे मेरी सभी गजलें प्यारी लगती है।
हरेकृष्ण - आपके कई शेर है जो लोगों की जुबान पर चढ़े होते है....
अतुल - हर शेर से हमें यूं गुजरना होता है जैसे हम तलवार की धार पर चल रहे हों फिर भी कुछ ऐसे शेर है जिन्हें जमाना बहुत पसंद करता है यह उस शेर का मुकद्दर है।

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